गुरुवार, 8 मई 2008

हाय, आप चाय लेंगे - कुमार मुकुल

चाय का आफर मिलने पर अगर कोई चाय पीनेवाला आदमी इनकार करे, तो देखना होगा कि वह वाकई चाय से होनेवाली खामियों के प्रति सचेत हुआ है याफिर उसका फिजिक ही चाय पचा पाने लायक नहीं रह गया है। ऐसे में आप उसे फासफोरस 30 का प्रयोग करने की राय दे सकते हैं।
फासफोरस के रोगी को चाय पचती ही नहीं है। उसका मेटाबोलिज्म (चायपचय) ऐसा बिगड़ा होता है कि वह सामान्य चीजों को भी पचा पाने लायक नहीं रह जाता है। फासफोरस रोगी दुबला-पतला होता है। खास कर उसकी छातियां सिकुड़ी होती हैं। उसके जोड़ कमजोर होते हैं। उसकी चमड़ी पतली और साफ होती है। पर जो लोग वाकई चाय बहुत पीते हों और उनकी आंतें जवाब दे रही हों और परिणामस्वरूप कब्ज भयंकर होती जा रही हो, तो आप हाइड्रेिस्टस को याद कर सकते हैं। आंतें जब मल-निष्कासन में असफल होती जाती हैं, ऐसे में हाइड्रेिस्टस क्यू रामबाण सिद्ध होता है। ऐसा रोगी खुद को कुशाग्रबुिद्ध समझता है। उसे साइनस भी रहती है। पुराने कब्ज की भी हाइड्रेिस्टस अच्छी दवा है और लम्बे समय तक चाय पीना कब्ज को बढ़ावा देता है। ऐसे में इसकी भूमिका स्वयंसिद्ध होती है। ऐसे में सामान्य दवाएं, जो पेट साफ करने में असफल सिद्ध हों तो आप होम्योपैथी की यह दवा दस बूंद सुबह-शाम ले सकते हैं। चाय पीने से कैंसर तक होने की संभावना भी रहती है। ऐसे में हाइड्रेिस्टस कैंसर से आपका बचाव करता है।
चाय पीने से अगर पेट में ऐंठन होती हो और कोई भी खाद्य पदार्थ अनुकूल पड़ता हो, तो आप चाय को छोड़ फेरमफास 12 एक्स का प्रयोग कर सकते हैं। चाय की गड़बिड़यों को एक हद तक चायना भी एक हद तक संभालती है। चाय से जो स्नायविक गड़बिड़यां होती हैं, कमजोरी और पेट में गैस भी, ऐसे में चायना काफी काम की सिद्ध होती है। चाय पीने से अनिद्रा की शिकायत भी बढ़ती जाती है। इस सबको आप चायना 30 की कुछ खुराकें लेकर ठीक कर सकते हैं।
यू¡ चाय से पैदा होनेवाली न्यूरोलाजिकल गड़बिड़यों को थूजा भी दूर कर देता है। अिèाक चाय पीने से अगर आपका खून गन्दा हो गया हो और चेहरे पर लाल फुंसियां निकल रही हों, तो इस गन्दगी को उभारने के लिए आप आरम्भ में हीपर सल्फ की भी कुछ खुराकें ले लें, तो बेहतर होगा।
यूं जिनको चाय से अभी कोई हानि न दिखती हो, पर उससे होनेवाले खतरों के प्रति वे सचेत हों और चाय छोड़ना चाहते हों, तो अपने लक्ष्णों का मिलान कर वे हीपर सल्फ, हाइड्रेिस्टस या कैल्के सल्फ की कुछ खुराकें ले सकते हैं।
चाय अक्सर अल्युमीनियम के भगोने में खदका कर बनाई जाती है। चाय के अलावा यह अल्युमीनियम भी घुल कर पेट की प्रणाली को बार्बाद करने में कम भूमिका नहीं निभाता है। चाय के विकल्प के रूप में कुछ दिन आप नींबू की चाय पी कर काम चला सकते हैं। दिल्ली में आइआइटी के छात्रों को उसी रंग का जो पेय उपलब्‍ध कराया जाता है, उसमें सौंफ आदि पचासों जड़ी-बूटियां मिली होती हैं। अखंड ज्योति द्वारा प्रचारित प्रज्ञा पेय भी चाय का विकल्प हो सकता है।

1 टिप्पणी:

Satish Saxena ने कहा…

पहली बार आपका ब्लॉग पढ़ा , आप बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं , जितनी तारीफ करें वह कम है, बिना तारीफ की परवाह किए होमिओपथी एवं मानवता की सेवा करते रहें ! एक दिन आएगा जब लोग आपको धन्यवाद कहेंगे !
ब्लॉग जगत चमक दमक के पीछे भागता है, सो आपको हो सकता है की कभी निराशा हो, परवाह न करें , मैं आपके साथ हूँ ! आपका धन्यवाद !